नमी हसीन आँखों की चुरा गया कोई,
बातो ही बातो में कई ख्वाब दिखा गया कोई !
सोचा था दिल ही दिल में उमंगें जवान हो ,
रूहे जज्बात जानकर मुस्कुरा गया कोई!
ना गम का ठिकाना और ना रुसवाइयों का डर,
मुझको इस कदर जीना सिखा गया कोई!
लबों से अब टपकता है इश्के रज़ा का नूर ,
कुछ ही पलो में मुझको-मुझसे चुरा गया कोई !
हालात अब मेरे-मेरे बस में नहीं है ,
या खुद वफ़ा का शीशा दिखा गया कोई !
कांटे भी पल रहें हैं फूलों के दामन में,
ये सोचकर हौले से गुनगुना गया कोई !
इसे मोहब्बत नहीं तो भला और क्या कहें,
मेरी पलकों से मेरी नींदे भी चुरा गया कोई!
द्वारा
------अनु शर्मा
Thursday, June 25, 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)