Sunday, July 12, 2009

मन की अनुभूतियों को कोई रंग नहीं देता ......


मन की अनुभूतियों को कोई रंग नहीं देता ,
साथ चलते है सब पर कोई संग नहीं देता!
हाथ मेहँदी भरे अश्रुं पी लेते .......पर
मेरा अपना मुझे जीने का ढंग नहीं देता!

तेरी-मेरी कहानी का क्या रंग हो?
साथ चलते तो हो पर क्या मेरे संग हो?
ऐसे प्रश्नों को मेरे वो ज़ंग नहीं देता ,
मेरा अपना मुझे जीने का ढंग नहीं देता!

मेरी नाकामियों में भी उनका रंग है
मैं कही भी रहूँ मगर वो संग है
वो बेदर्दी दिले तंग मरने भी नहीं देता ,
मेरा अपना मुझे जीने का ढंग नहीं देता!


dwara

------anu sharma

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