
क्या कहे हाले दिल बया करना नहीं आता,
हमे हाथो की लकीरों से लड़ना नहीं आता!
यु तो रहनुमा बन चुके हैं कई चाहने वाले,
हमे किसी की चाहत में सवरना नहीं आता !
खुदा तो एक होता हैं बस ये ही मान कर बैठे,
"खुदा" से प्यार और इज़हार का सलीका नहीं आता,
मेरे माथे पे पसीनो की बुँदे सिर्फ ये ही कहती हैं ,
तुझे चाहत में मर -मिटने का तरीका नहीं आता !
कुसूर उनका भी नहीं मुस्कान देख के पिंघल गए ,
हमे ही दर्दे दिल को उनसे छिपाना नहीं आता !
उनकी तस्वीर में सब राज़ छुपे उनकी अदाओं के ,
हमे ही हाले -दिल सनम से बताना नहीं आता !
उनकी बातों से खुशबु क्यों वफ़ा की नहीं आती ?
हमे ही शायद जिंदगी की ये छाया नहीं भाती !
"अनु" आखिरी साँस तक महबूब का इन्तिज़ार करेंगी ,
वो जिससे प्यार करती हैं बस उसी से प्यार करेंगी,
और रुसवाइयों की आंधी से डरते नहीं हम ,
इस मुरझाई कलि को देख प्रेम बरसाएंगे "सनम"
-------------अनु राज
6 comments:
teri baaton se hua ye asar mujh par hai.
kya kahoon tujhse kuch kaha nahi jata.
hum to dil lagane ki unse khata kar baithe.
ab to bin unke raha nahi jata.
वाह ........
Thanks
bahut hi sundar hai wah-wah
सुन्दर बात है
यु तो रहनुमा बन चुके हैं कई चाहने वाले,
हमे किसी की चाहत में सवरना नहीं आता !
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