Friday, September 12, 2008

[1]पत्थर से मोम सा पिघल गया

तेरे छूते ही पत्थर से मोम सा पिघल गया!
स्पर्श के एहसास से दिलो का छल निकल गया!
कांटो की छुभन और फूलो दोनों तुझमे समाये!
तेरे अनमोल वचनों से गंगा जल निकल गया!
तेरी एक मुस्कान दुनिया को जीना सिखाती हैं,
तू ही हैं वो जिसको प्रेम की भाषा आती हैं!
अम्बर और धरती बस तेरी ही परछाई हैं!
हस्ती तेरी बनाने वाले ने क्या खूब बनायीं हैं?
द्वारा---------अनु राज

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