
भारती की भूमि पर हम जन्म लेकर हो गए पावन ।
सामरस में मिलकर अब तो हो गया काया का तारण
वीरों की भूमि यहाँ पर ,
ऋषियों का हैं देश ये ----ऋषियों का हैं देश ये ।
प्रेम की छाया यहाँ पर ,
सूर्य का यहाँ तेज पावन ।
भारती की भूमि पर हम जन्म लेकर , हो गए पावन ।
गंगा ,यमुना ,सरस्वती से ,
तप की भूमि बन गई ,तप की भूमि बन गई----
प्रेम की पावन धाराएँ ,
तन को करलों आज पावन ।
भारती की भूमि पर हम , जन्म लेकर हो गए पावन ।
हमको सुख से अब हटानी ,
दुख की सब परछाईयां ।
प्रेम और करुणा के रस से ,
मन को कर लो आज पावन।
भारती की भूमि पर हम जन्म लेकर हो गए पावन।
अपनी हस्ती को मिटाने ,
का ये वक्त हैं साथियों ---हां ये वक्त हैं साथियों
रक्त की बुँदे गिराकर ,
तन को कर लो आज पावन ।
भारती की भूमि पर हम जन्म लेकर हो गए पावन ....
द्बारा
---------अनु राज
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