
कुछ लफ्ज़ लिखे तारीफ में कयामत सी ढहा गए ,
नाम दिल में छुपा था जो शब्द बन के छा गए !
वो कहते हैं ये मेरे प्यार में दीवानी हैं लोगों,
इतना सुनते ही मेरी आँख में आंसू से आ गए!
तन्हाईया मेरी मुझे रुसवा न कर सकी जब ,
वो महफिल में सरे आम यूँ करीब आ गए!
आँखे बरस रही थी उनके इन्तिज़ार में ,
अनछुए से पल में वो बन के नसीब आ गए!
आदत सी हो गयी हैं उनके नाम की "अनु",
वो समझे अदा इसे और हंसी में उड़ा गए!
हर एक गली , कून्चो में दीवानों की भीड़ हैं,
सरताज बनके सबके दिलो पे वो छा गए!
क्यों खलिश सी इस ज़मी को आसमा की है?
"अनु" के रूबरू जब मसीहा ही आ गए!
द्वारा
---------अनु राज
2 comments:
i m seeing myse pain in ur words.
so u can think that it is no compliment better than it
कुछ लफ्ज़ लिखे तारीफ में कयामत सी ढहा गए ,
नाम दिल में छुपा था जो शब्द बन के छा गए !
Words are full Of emOtions .. appreciable elaboration.
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