
हिन्दी दिवस के इस महान उपलक्ष्य पर सभी आदरणीय श्रोताओं और पाठको को मेरा सादर प्रणाम ।
प्रत्येक व्यक्ति अपने देश और उसकी मिटटी से जुड़ना चाहता हैं ,उसे नमन करना चाहता हैं। इसी
दिशा में बदाया गया ये मेरा एक छोटा सा कदम हैं ,आशा करती हूँ आप मेरे इस प्रथम प्रयास को ना की
सिर्फ़ सराहेंगे बल्कि मुझे आगे भी रचनात्मक कार्यों के लिए प्रेरणा प्रदान करते हुए उत्साहित करेंगे ।
ये हिंद हैं , हम हिंदू हैं ,हिन्दी भाषा का प्यार हैं ।
हिन्दी शब्दों के जाल से ही ये सारा संसार हैं ।
गंगा , यमुना और सरस्वती मे,
हिन्दी लहरें बनकर डोलती ।
हर धर्म,अर्थ और काम मोक्ष का ,
माया से बंधन खोलती ।
इस हिन्दी से हिमालय हैं ,
हिन्दी से हिंदुस्तान बना ।
हिन्दी के बल पर भारत ने ,
विश्व मे भी सम्मान जना ।
तुम हमसे हो , हम तुमसे हैं ,
ये भाषा हमे सिखाती हैं ।
हिन्दी ही तो मस्तिष्क के ,
हर हिस्से खोलती जाती हैं ।
हिन्दी की जननी संस्कृत ,
हिन्दी का मान बढाती हैं ।
हिन्दी तो हिंद के बच्चों को ,
भाषा का ज्ञान कराती हैं ।
हिन्दी जन-जन की बोली हैं ,
ये ऐसे स्वजनों की टोली हैं ।
क्या मद्रासी,क्या पंजाबी ,ये तो ,
हर जन की हमजोली हैं ।
हिन्दी मे ही धरती माता मे,
फसलों ने गीत सुनाये हैं ,
सदियों से जो दिल दूर थे ,
उन सबको आज मिलाएं हैं।
तुम भी बोलो , हम भी बोलें ,
हिन्दी से हर एक राज़ खोलें ।
हिंद मे हिन्दी की जय हों
ऐसा कहकर हर मन डोले ।
गर विन्ध्याचल से ये पूंछे ,
ये हिन्दी कितनी महान हैं ?
वो संच बोलेगा साथियों ,
हिन्दी , हिंद का स्वाभिमान हैं ।
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