शांत नदी के सहमे जल में ,
पत्थर सा जो यू मार दिया !
तुम कौन दिशा से आये पथिक ?
किस कारण इतना प्यार दिया ?
चंचल-चंचल सा समावेश,
मन गंगा जल सा वार दिया !
तुम कौन दिशा से आये पथिक ?
किस कारण इतना प्यार दिया ?
संताप भरे इस जीवन के,
हर पहलु का उद्धार किया!
तुम कौन दिशा से आये पथिक ?
किस कारण इतना प्यार दिया ?
अनछुई धरती के आँचल पे,
नवनीत कलियों को वार दिया!
तुम कौन दिशा से आये पथिक ?
किस कारण इतना प्यार दिया ?
ये भ्रमित-भ्रमित सी अभिलाषाएं ,
सम्पूर्ण मेरा संसार किया !
तुम कौन दिशा से आये पथिक ?
किस कारण इतना प्यार दिया ?
तुम चन्द्र ,अनल, गोपाल बने ,
तन -मन अपना सब हार दिया !
तुम कौन दिशा से आये पथिक ?
किस कारण इतना प्यार दिया ?
द्वारा
----------अनु राज
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