
उदासी सी छाई हैं,ये कलि क्यों मुरझाई हैं!
ना पूछा उन्होंने ?
ना पूछा उन्होंने ?
ना पूछा उन्होंने ?
आँखों की नमी गुनगुनायी हैं,होंठो पे क्यों सुर्खी छाई हैं ?
ना पूछा उन्होंने ?
जज्बातों की दी क्यों दुहाई हैं,हाथो की मेहँदी क्यों मुरझाई हैं ?
ना पूछा उन्होंने ?
काश उनको भी मोह्हबत होती ?
उनकी आँखे भी ना सोती?
मेरी आँहों की खोमिशी,
उनके सीने से लग कर रोती!
द्वारा ---------------अनु राज
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