Saturday, September 13, 2008

[३] ना पूछा उन्होंने !


उदासी सी छाई हैं,ये कलि क्यों मुरझाई हैं!
ना पूछा उन्होंने ?

दिल को रहत ना आई हैं,पशेमा पे बुँदे क्यों छाई हैं?
ना पूछा उन्होंने ?


आँखों की नमी गुनगुनायी हैं,होंठो पे क्यों सुर्खी छाई हैं ?
ना पूछा उन्होंने ?

जज्बातों की दी क्यों दुहाई हैं,हाथो की मेहँदी क्यों मुरझाई हैं ?
ना पूछा उन्होंने ?

काश उनको भी मोह्हबत होती ?
उनकी आँखे भी ना सोती?
मेरी आँहों की खोमिशी,
उनके सीने से लग कर रोती!

द्वारा ---------------अनु राज

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