
सर्व-धर्म समभाव ही अपना नारा हैं ,
शान्ति से जीना सबको , क्या मेरा-तुम्हारा हैं?
खुशियाँ तो बाँटी सबने ,
अब गम भी मिलकर बांटो।
जिन रिश्तो को प्रेम किया ,
उनको तुम मत काँटों ।
सारी सृष्टि मालिक की ,क्या हैं जो हमारा हैं ?
शान्ति से जीना सबको क्या मेरा तुम्हारा हैं
समदृष्टि संग तृष्णा त्यागे ,
मुंह से कभी असत्य ना बोले ।
आपस में ना द्वेष-भाव हो,
शान्ति-शान्ति हर मन ये बोले।
प्रभु कही अज्ञान ना हो ,बस तेरा सहारा हैं।
शांति से जीना सबको , क्या मेरा -तुम्हारा हैं ?
पेड़ लगाकर विश्व बचायें ,
प्रेम की धारा बहाएँ ।
सोया हैं समाज ये सारा ,
शान्ति-पाठ से इसे जगाएं .
नफरत और बुराई से संघर्ष ये सारा हैं ।
शान्ति से जीना सबको , क्या मेरा -तुम्हारा हैं।
द्बारा
---------अनु राज
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