Tuesday, September 16, 2008

[१२] शब्दों के मायाजाल में, अंतर्मन खो गया !

शब्दों के मायाजाल मे,
अंतर्मन खो गया!

जो दिल कभी विराना था,
बाग़-बाग़ हो गया!

धरती हैं गर हम?
तो आकाश आप हो!

इस अनछुए से मन के ,
एहसास आप हो!

नयन अगर खोले ?
तो दूर हो आप !

बंद अगर करे तो?
पास आप हो !

तेरी अनछुई छुअन ने ,
बड़े जख्म कर दिए !

दिल मे घर बनाकर,
वो कही और चल दिए!

आपकी जुदाई हम सह ना पाएंगे ,
आपसे दूर रहकर,हम तो मर जायेंगे!


द्वारा-

----अनु राज

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