शब्दों के मायाजाल मे,
अंतर्मन खो गया!
जो दिल कभी विराना था,
बाग़-बाग़ हो गया!
धरती हैं गर हम?
तो आकाश आप हो!
इस अनछुए से मन के ,
एहसास आप हो!
नयन अगर खोले ?
तो दूर हो आप !
बंद अगर करे तो?
पास आप हो !
तेरी अनछुई छुअन ने ,
बड़े जख्म कर दिए !
दिल मे घर बनाकर,
वो कही और चल दिए!
आपकी जुदाई हम सह ना पाएंगे ,
आपसे दूर रहकर,हम तो मर जायेंगे!
द्वारा-
----अनु राज
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