Tuesday, September 23, 2008


कुछ लफ्ज़ लिखे तारीफ में कयामत सी ढहा गए ,

नाम दिल में छुपा था जो शब्द बन के छा गए !




वो कहते हैं ये मेरे प्यार में दीवानी हैं लोगों,

इतना सुनते ही मेरी आँख में आंसू से आ गए!




तन्हाईया मेरी मुझे रुसवा न कर सकी जब ,

वो महफिल में सरे आम यूँ करीब आ गए!



आँखे बरस रही थी उनके इन्तिज़ार में ,

अनछुए से पल में वो बन के नसीब आ गए!




आदत सी हो गयी हैं उनके नाम की "अनु",

वो समझे अदा इसे और हंसी में उड़ा गए!




हर एक गली , कून्चो में दीवानों की भीड़ हैं,

सरताज बनके सबके दिलो पे वो छा गए!




क्यों खलिश सी इस ज़मी को आसमा की है?

"अनु" के रूबरू जब मसीहा ही आ गए!



द्वारा



---------अनु राज

2 comments:

arun saxena said...

i m seeing myse pain in ur words.
so u can think that it is no compliment better than it

gotms said...

कुछ लफ्ज़ लिखे तारीफ में कयामत सी ढहा गए ,

नाम दिल में छुपा था जो शब्द बन के छा गए !

Words are full Of emOtions .. appreciable elaboration.