उनके लबो से सजावटें ,शब्दों को मेरे मिल गयी!
जो एक कलि मुरझाई थी ,छूने से उनके खिल गयी!
उनकी अदाएं हर घडी , सागर से दिल में समां गयी!
हर साँस पर सांसे मेरी, उनकी आहों से मिल गयी !
नाज़ुक से मेरे हाथो को ,वो चूम के यू चल दिए !
मै रोक न पाई नदी को,और वो सागर से मिल गयी!
सीने की धडकनों कों, खामोशियाँ जो छू गयी !
मेरे मसीहा के दर पे ये निगाहे ही झुक गयी!
कुछ इस कदर नसों मे रवानी सी बह गयी !
उनकी प्रीत के जूनून मे "अनु" सब हंस के सह गयी !
द्वारा
---------------अनु राज
1 comment:
उनके लबो से सजावटें ,शब्दों को मेरे मिल गयी!
जो एक कलि मुरझाई थी ,छूने से उनके खिल गयी!
B'ful expression of feelings !! Keep Writing ;)
-Gautam Saraswat
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