Tuesday, September 23, 2008




कभी लगता है प्यार खुदा का नाम हैं,

कभी लगता है ये तो सिर्फ बेकारो का काम हैं!


कभी लगता हैं ये आँखों की नमी हैं,
कभी लगता है दुनिया इसी जज्बे से थमी हैं !



कभी लगता हैं ये बहाना है दिल दुखाने का,
कभी लगता हैं बहाना हैं जिस्मो को मिलाने का !


कभी लगता हैं ये बहती रवानी हैं,
कभी लगता है नासूर जवानी है१


कभी लगता हैं दिलबर की खामोशी है,
कभी लगता है ये सिर्फ मदहोशी है!


कभी लगता है जन्नत सा नज़ारा है,
कभी लगता है इसने हर किसी को मारा है !


कभी लगता है धोखे की परछाई हैं,
कभी लगता है सूरज की लाली छाई है!


कभी लगता है महबूब का सीना है,
कभी लगता है जहर को ही पीना है!


इस प्रेम,प्रीत,प्यार को "अनु" ना समझ पाएँगी,
अभी जलते हुए अंगारों पर चलकर वो खुद को जलाएगी !


द्वारा

----------------अनु राज

4 comments:

I B Khandel from Raipur said...

इस प्रेम,प्रीत,प्यार को "अनु" ना समझ पाएँगी,
अभी जलते हुए अंगारों पर चलकर वो खुद को जलाएगी !

gotms said...

इस प्रेम,प्रीत,प्यार को "अनु" ना समझ पाएँगी,
अभी जलते हुए अंगारों पर चलकर वो खुद को जलाएगी !

very good Anu ji !!

Kavi Dr. Vishnu Saxena said...

aapka bhaw paksh bahut sashakt hai.god bless u.

masoomshayer said...

bahut achha likha hai pyar ki uljhan ko samjhne ka achha prayas

Anil